ग्रेटर नोएडाप्राधिकरण

ग्रेटर नोएडा में विकास के नाम पर पर्यावरण की बलि: पेड़ों की कटाई विकास की कीमत या लापरवाही ?

ग्रेटर नोएडा (संचार नाउ)। अप्रैल की शुरुआत के साथ ही गर्मी ने अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। जहां एक ओर पूरे देश में गर्मी से राहत पाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए लाखों पेड़ लगाने की मुहिम जोरों पर है, वहीं ग्रेटर नोएडा में विकास के नाम पर बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई का सिलसिला जारी है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा 130 मीटर चौड़ी सड़क के चौड़ीकरण के लिए सेक्टर ओमिक्रोन तीन के सामने ठेकेदारों के माध्यम से दर्जनों पुराने पेड़ काटे जा रहे हैं। इस कार्रवाई ने न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि पर्यावरणविदों को भी चिंता में डाल दिया है। सवाल यह उठता है कि क्या विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन संभव नहीं है? क्या पेड़ों को काटने के बजाय कोई वैकल्पिक समाधान नहीं खोजा जा सकता?

दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण हर साल लाखों पेड़ लगाने का दावा करता है। इन पेड़ों को शहर की हरियाली बढ़ाने और पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए लगाया जाता है। लेकिन 130 मीटर सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत सड़क के बीच में मौजूद पुराने पेड़ों को बेरहमी से काटा जा रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये पेड़ न केवल ऑक्सीजन का प्रमुख स्रोत थे, बल्कि गर्मी में राहत और पक्षियों के लिए आश्रय भी प्रदान करते थे।

प्राधिकरण की लापरवाही या ठेकेदारों की मनमानी

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की जानकारी के बिना ही ठेकेदार के द्वारा पेड़ो की कटाई की जा रही है। ठेकेदार बिना उचित अनुमति और पर्यावरणीय मंजूरी के पेड़ काट रहे हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई से पहले वैकल्पिक उपायों पर विचार करना अनिवार्य है। इसके अलावा, कटाई की अनुमति लेना और प्रतिपूरक वृक्षारोपण करना भी जरूरी है। लेकिन ग्रेटर नोएडा में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है।

वैकल्पिक समाधान: पेड़ों को शिफ्ट करने की तकनीक

सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों को काटना ही एकमात्र रास्ता नहीं है। आधुनिक तकनीकों के माध्यम से पेड़ों को उनकी जड़ों सहित दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है। ‘ट्री ट्रांसलोकेशन’ के नाम से मशहूर यह तकनीक कई भारतीय शहरों में सफलतापूर्वक लागू की जा चुकी है। इस प्रक्रिया में विशेषज्ञों की मदद से पेड़ों को सावधानीपूर्वक खोदा जाता है और उनकी जड़ों को सुरक्षित रखते हुए नई जगह पर रोपा जाता है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को भी इस दिशा में कदम उठाने चाहिए। इसके अलावा, सड़क के डिज़ाइन में बदलाव कर पेड़ों को बचाने की कोशिश की जा सकती है। उदाहरण के लिए, सड़क को थोड़ा मोड़कर या अंडरपास बनाकर पेड़ों को संरक्षित किया जा सकता है।

विकास और पर्यावरण के बीच स्थापित हो संतुलन

ग्रेटर नोएडा में 130 मीटर सड़क चौड़ीकरण परियोजना विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है, लेकिन इसके लिए पेड़ों की बलि देना उचित नहीं है। प्राधिकरण को ठेकेदारों की लापरवाही पर अंकुश लगाना होगा और पेड़ों को शिफ्ट करने जैसे वैकल्पिक समाधानों को अपनाना होगा। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को गर्मी, प्रदूषण और पर्यावरणीय असंतुलन की भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह समय है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित कर एक मिसाल कायम करे।

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